धन का महत्व

धन का महत्व

राजा को अपनी प्रजा का भरण-पोषण करना चाहिये। राजा साधु पुरुषों के हाथ से कभी धन न छीने और असाधु पुरुषों से दण्ड स्वरूप धन का अर्जन करे। स्वयं प्रहर्ता दाता च वश्यात्मा रम्यसाधनः। काले दाता च भोक्ता च शुद्धाचारस्तथैव च।। राजा स्वयं दुष्टों पर प्रहार करे, दानशील बने, मन को वश में रखे, सुरम्य साधन से युक्त रहे, समय-समय पर धन का दान करे और उपयोग भी करे तथा निरंतर शुद्ध और सदाचारी बना रहे। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices

राजा को अपनी प्रजा का भरण-पोषण करना चाहिये। राजा साधु पुरुषों के हाथ से कभी धन न छीने और असाधु पुरुषों से दण्ड स्वरूप धन का अर्जन करे। 

 

स्वयं प्रहर्ता दाता च वश्यात्मा रम्यसाधनः। 

काले दाता च भोक्ता च शुद्धाचारस्तथैव च।। 

 

राजा स्वयं दुष्टों पर प्रहार करे, दानशील बने, मन को वश में रखे, सुरम्य साधन से युक्त रहे, समय-समय पर धन का दान करे और उपयोग भी करे तथा निरंतर शुद्ध और सदाचारी बना रहे। 

 

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