भीष्म नीति Bheeshma Neeti

भीष्म नीति Bheeshma Neeti

कुरुक्षेत्र युद्ध की समाप्ति के बाद भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर लेटकर अपने स्वर्गारोहण की प्रतीक्षा कर रहे थे, तब श्रीकृष्ण के सुझाव पर युधिष्ठिर उनके पास राजधर्म की दीक्षा लेने के लिये गए। 

पितामह और युधिष्ठिर का यह संवाद महाभारत के शान्ति पर्व के अंतर्गत राजधर्मानुषाशन पर्व में मिलता है, जिसे प्रायः भीष्म नीति ने नाम से जाना जाता है। 

सूत्रधार की इस शृंखला के द्वारा हम महान पितामह भीष्म की उस सीख को रोचक तरीके से आप तक पहुंचाएंगे। 

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गोपनीयता
भीष्म नीति Bheeshma NeetiAugust 26, 2022x
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गोपनीयता

राजा के लिये जो रहस्य की बात हो, शत्रुओं पर विजय पाने के लिये वह जिन लोगों का संग्रह करता हो, विजय के...

राज्य की रक्षा के साधन
भीष्म नीति Bheeshma NeetiAugust 22, 2022x
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राज्य की रक्षा के साधन

गुप्तचर रखना, दूसरे राज्यों में अपना राजदूत नियुक्त करना, सेवकों के प्रति ईर्ष्या न करते हुए उन्हें स...

श्रेष्ठ राजा के लक्षण
भीष्म नीति Bheeshma NeetiAugust 19, 2022x
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श्रेष्ठ राजा के लक्षण

जो बुद्धिमान, त्यागी, शत्रुओं की दुर्बलताओं को जानने का प्रयत्न करने वाला, देखने में प्रसन्नचित्त, सभ...

राजा का चरित्र
भीष्म नीति Bheeshma NeetiAugust 15, 2022x
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राजा का चरित्र

जो राजा सब पर संदेह करता है और प्रजा का सर्वस्व हर लेता है, वह लोभी और कुटिल राजा एक दिन अपने ही लोगो...

सहायकों की नियुक्ति
भीष्म नीति Bheeshma NeetiAugust 12, 2022x
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सहायकों की नियुक्ति

जो शूरवीर और भक्त हों, जिन्हें विपक्षी लुभा न सके; जो कुलीन, निरोगी एवं शिष्टाचार वाले हों तथा सभ्य ल...

धन का महत्व
भीष्म नीति Bheeshma NeetiAugust 08, 2022x
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धन का महत्व

राजा को अपनी प्रजा का भरण-पोषण करना चाहिये। राजा साधु पुरुषों के हाथ से कभी धन न छीने और असाधु पुरुषो...

दस वर्ग
भीष्म नीति Bheeshma NeetiAugust 05, 2022x
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दस वर्ग

मंत्री, राष्ट्र, दुर्ग, कोष और दण्ड - ये पाँच प्रकृति कहे गए हैं। अपने और शत्रु पक्ष के मिलाकर इन्हें...

राजनीति के छः गुण
भीष्म नीति Bheeshma NeetiAugust 01, 2022x
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राजनीति के छः गुण

यदि शत्रु अपने से बलवान हो तो उससे मेल कर लेना ‘सन्धि’ कहलाता है। दोनों का बल समान होने पर युद्ध जारी...

प्रजा की रक्षा
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJuly 29, 2022x
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प्रजा की रक्षा

प्रजावर्ग को प्रसन्न रखना ही राजा का सनातन धर्म है। सत्य की रक्षा और व्यवहार की सरलता ही राजा का कर्त...

राज्य के सात अंग
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJuly 25, 2022x
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राज्य के सात अंग

राज्य के सात अंग हैं - राजा, मंत्री, मित्र, कोष, देश, दुर्ग और सेना। जो इन सात अंगों के विपरीत आचरण क...

उद्योग का महत्व
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJuly 22, 2022x
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उद्योग का महत्व

राजा को सदा ही उद्योगशील अर्थात् कर्मठ होना चाहिये। जो राजा उद्योग को छोड़कर बेकार बैठा रहता है उसकी प...

सेवकों के प्रति व्यवहार
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJuly 18, 2022x
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सेवकों के प्रति व्यवहार

सेवकों के साथ अधिक हंसी-खेल नहीं करना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से सेवक मुँहलगे हो जाते हैं और स्वामी क...

प्रजा के साथ बर्ताव
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJuly 15, 2022x
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प्रजा के साथ बर्ताव

राजा का प्रजा के प्रति व्यवहार गर्भवती स्त्री की तरह होना चाहिये। जिस प्रकार एक गर्भवती स्त्री अपने म...

व्यसनों का परित्याग
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJuly 11, 2022x
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व्यसनों का परित्याग

एक आदर्श राजा को समस्त व्यसनों का परित्याग कर देना चाहिये और उनके ऊपर आसक्ति नहीं रखनी चाहिये और उनसे...

क्षमा और भय
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJuly 08, 2022x
6
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क्षमा और भय

भीष्म पितामह के अनुसार राजा को सदा ही क्षमाशील नहीं बने रहना चाहिये, क्योंकि सदा क्षमाशील राजा कोमल स...

दया
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJuly 04, 2022x
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दया

भीष्म पितामह कहते हैं कि रेत, जल, पृथ्वी, वन, पर्वत और मनुष्य - इन छः प्रकार के दुर्गों में मनुष्य दु...

कठोरता और कोमलता
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJuly 01, 2022x
4
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कठोरता और कोमलता

 पितामह भीष्म के अनुसार राजा को सभी कार्यों में सरलता और कोमलता का आचरण करना चाहिये, परन्तु नीतिशास्त...

सत्य का महत्व
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJune 27, 2022x
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सत्य का महत्व

पितामह कहते हैं कि सत्य के सिवा दूसरी कोई वस्तु राजाओं के लिये सिद्धिकारक नहीं है। सत्यपरायण राजा इस ...

पुरुषार्थ और प्रारब्ध
भीष्म नीति Bheeshma NeetiJune 23, 2022x
2
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पुरुषार्थ और प्रारब्ध

पितामह भीष्म युधिष्ठिर से कहते हैं पुरुषार्थ अर्थात् कर्म और प्रारब्ध अर्थात् भाग्य में सदा पुरुषार्थ...