द्रोणाचार्य द्वारा युधिष्ठिर को बन्दी बनाने की रणनीति के तहत अर्जुन को युद्धक्षेत्र से दूर ले जाना अनिवार्य हो चुका था। ऐसे में त्रिर्गत देश के योद्धाओं ने संशप्तक प्रण लेकर अर्जुन से लोहा लेने की ठानी परन्तु इसका परिणाम कौरव सेना को बहुत भारी पड़ा।
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