Atharvashirsha Meaning Hindi (भाग 2)

Atharvashirsha Meaning Hindi (भाग 2)

श्लोक 3 अव त्वम् माम् । अव वक्तारम् ।अव श्रोतारम् । अव दातारम् ।अव धातारम् । अवानूचानमव शिष्यम् ।अव पश्चात्तात् । अव पुरस्तात् ।अवोत्तरात्तात् । अव दक्षिणात्तात् ।अव चोध्र्वात्तात् । अवाधरात्तात् ।सर्वतो माम् पाहि पाहि समन्तात् ।। अर्थात :- तुम मेरे हो मेरी रक्षा करों, मेरी वाणी की रक्षा करो| मुझे सुनने वालो की रक्षा करों | मुझे देने वाले की रक्षा करों मुझे धारण करने वाले की रक्षा करों | वेदों उपनिषदों एवम उसके वाचक की रक्षा करों साथ उससे ज्ञान लेने वाले शिष्यों की रक्षा करों | चारो दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, एवम दक्षिण से सम्पूर्ण रक्षा करों | श्लोक 4 त्वं वाङ्मयस्त्वञ् चिन्मयः ।त्वम् आनन्दमयस्त्वम् ब्रह्ममयः ।त्वं सच्चिदानन्दाद्वितीयोऽसि ।त्वम् प्रत्यक्षम् ब्रह्मासि ।त्वम् ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि ।। अर्थात:- तुम वाम हो, तुम ही चिन्मय हो, तुम ही आनन्द ब्रह्म ज्ञानी हो, तुम ही सच्चिदानंद, अद्वितीय रूप हो , प्रत्यक्ष कर्ता हो तुम ही ब्रह्म हो, तुम ही ज्ञान विज्ञान के दाता हो | Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices

श्लोक 3

अव त्वम् माम् । अव वक्तारम् ।
अव श्रोतारम् । अव दातारम् ।
अव धातारम् । अवानूचानमव शिष्यम् ।
अव पश्चात्तात् । अव पुरस्तात् ।
अवोत्तरात्तात् । अव दक्षिणात्तात् ।
अव चोध्र्वात्तात् । अवाधरात्तात् ।
सर्वतो माम् पाहि पाहि समन्तात् ।।

अर्थात :- तुम मेरे हो मेरी रक्षा करों, मेरी वाणी की रक्षा करो| मुझे सुनने वालो की रक्षा करों | मुझे देने वाले की रक्षा करों मुझे धारण करने वाले की रक्षा करों | वेदों उपनिषदों एवम उसके वाचक की रक्षा करों साथ उससे ज्ञान लेने वाले शिष्यों की रक्षा करों | चारो दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, एवम दक्षिण से सम्पूर्ण रक्षा करों |

श्लोक 4

त्वं वाङ्मयस्त्वञ् चिन्मयः ।
त्वम् आनन्दमयस्त्वम् ब्रह्ममयः ।
त्वं सच्चिदानन्दाद्वितीयोऽसि ।
त्वम् प्रत्यक्षम् ब्रह्मासि ।
त्वम् ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि ।।

अर्थात:- तुम वाम हो, तुम ही चिन्मय हो, तुम ही आनन्द ब्रह्म ज्ञानी हो, तुम ही सच्चिदानंद, अद्वितीय रूप हो , प्रत्यक्ष कर्ता हो तुम ही ब्रह्म हो, तुम ही ज्ञान विज्ञान के दाता हो |

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