लगातार अपनी सेना में चल रहे विध्वंश के चलते दुर्योधन को भीष्म ने आश्वासन दिया कि युद्ध के सातवें दिन पाण्डव सेना को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर देंगे। इस दिन दोनों ओर से कई-कई दिव्यास्त्रों का सन्धान किया गया और विराट पुत्र शंख को वीरगति प्राप्त हुई।