एक मानव की पहचान उसके भीतर बसी मानवता से होती है। लेकिन आज के कलयुगी समाज ने मानवता का अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया है। इस एपिसोड के माध्यम से कल्पना, सुभांकर एवं तरनदीप ने इस समाज में दम तोड़ती मानवता की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया है। यह मानवता को बचाने की तरफ एक छोटा सा कदम है। तो आइए, मिलकर मानवता को बचाएँ।