गौरैया और मतवाला हाथी

गौरैया और मतवाला हाथी

चटकाकाष्ठकूटेन मक्षिकादर्दुरैस्तथा । महाजनविरोधेन कुञ्जरः प्रलयं गतः ॥ कठफोड़वा, गौरैया, मेढक तथा मक्खी जैसे महाजनों का विरोध करने से हाथी नष्ट हो गया था। किसी जंगल में चटक और चटकी नामक गौरैया का जोड़ा एक सदाबहार तमाल के पेड़ में घोंसला बनाकर रहते थे। कुछ समय बाद गौरैया ने उस घोंसले में अंडे दिए। एक दिन एक मतवाला हाथी कड़ी धूप से बचने के लिए उस घने पेड़ की छाया में आकर खड़ा हो गया। अपनी शक्ति के मद में चूर उसने पेड़ की जिस डाल में गौरैया का घोंसला था उसे अपनी सूंड से पकड़कर तोड़ दिया। डाल टूटने से गौरैया का घोंसला गिर गया और उसमें रखे चटकी के सारे अंडे फूट गए। चटकी अपने अंडों के फूटने के कारण रोने लगी। उसका रोना सुनकर उनका मित्र कठफोड़वा उनके पास आकर बोला, “क्यों बेकार में रो रही हो। गए हुओं को यादकर रोते नहीं हैं। हमें हमारे सामर्थ्य के अनुसार ही जीवन जीना पड़ता है।“ उसकी बात सुनकर चटक ने कहा, “तुम्हारी बात सच है। परंतु उस मदमस्त हाथी ने अपने बल के अभिमानवश जो किया है उसे उसका दण्ड अवश्य मिलना चाहिए। तुम अगर मेरे सच्चे मित्र हो तो इस हाथी को दण्ड देने के कोई उपाय सोचो, उसके बाद ही हमारी संतान के मरने का दुःख दूर होगा।“ उसके बाद कठफोड़वा अपनी वीणारवा नामक मक्खी मित्र के पास गया और उसे सारी बात बताई। मक्खी उन सबको लेकर अपने मेघनाद नाम के मेढक मित्र के पास लेकर गयी। सबने आपस में सलाह कर हाथी से छुटकारा पाने की एक युक्ति सोची। मेघनाद ने मक्खी से कहा, “मक्खी! कल दोपहर के समय तुम हाथी के कानों में अपनी वीणा की मधुर आवाज करना। उस संगीत की मधुरता के कारण वह अपनी आँखें बंद कर लेगा। जैसे ही वह अपनी आँखें बंद करेगा कठफोड़वा अपनी चोंच से उसकी आँखें फोड़ देगा। इस प्रकार अंधा हो जाने पर जब वो प्यास होकर पानी के पास जाने की सोचेगा तब मैं अपने परिवार के साथ गहरी खाई के पास जाकर जोर-जोर की आवाज करूँगा। अंधा होने के कारण हाथी तालाब समझकर वहाँ आएगा और खाई में गिरकर मर जाएगा।“ इस प्रकार सभी ने मिलकर एक विशाल हाथी को भी अपनी चतुराई से नष्ट कर दिया। इसीलिए कहते हैं कि बुद्धि के प्रयोग से कमजोर लोग मिलकर बलशाली को पराजित कर सकते हैं।

 

चटकाकाष्ठकूटेन मक्षिकादर्दुरैस्तथा ।

महाजनविरोधेन कुञ्जरः प्रलयं गतः ॥

कठफोड़वा, गौरैया, मेढक तथा मक्खी जैसे महाजनों का विरोध करने से हाथी नष्ट हो गया था।

किसी जंगल में चटक और चटकी नामक गौरैया का जोड़ा एक सदाबहार तमाल के पेड़ में घोंसला बनाकर रहते थे। कुछ समय बाद गौरैया ने उस घोंसले में अंडे दिए। एक दिन एक मतवाला हाथी कड़ी धूप से बचने के लिए उस घने पेड़ की छाया में आकर खड़ा हो गया। अपनी शक्ति के मद में चूर उसने पेड़ की जिस डाल में गौरैया का घोंसला था उसे अपनी सूंड से पकड़कर तोड़ दिया।

डाल टूटने से गौरैया का घोंसला गिर गया और उसमें रखे चटकी के सारे अंडे फूट गए। चटकी अपने अंडों के फूटने के कारण रोने लगी। उसका रोना सुनकर उनका मित्र कठफोड़वा उनके पास आकर बोला, “क्यों बेकार में रो रही हो। गए हुओं को यादकर रोते नहीं हैं। हमें हमारे सामर्थ्य के अनुसार ही जीवन जीना पड़ता है।“

उसकी बात सुनकर चटक ने कहा, “तुम्हारी बात सच है। परंतु उस मदमस्त हाथी ने अपने बल के अभिमानवश जो किया है उसे उसका दण्ड अवश्य मिलना चाहिए। तुम अगर मेरे सच्चे मित्र हो तो इस हाथी को दण्ड देने के कोई उपाय सोचो, उसके बाद ही हमारी संतान के मरने का दुःख दूर होगा।“

उसके बाद कठफोड़वा अपनी वीणारवा नामक मक्खी मित्र के पास गया और उसे सारी बात बताई। मक्खी उन सबको लेकर अपने मेघनाद नाम के मेढक मित्र के पास लेकर गयी। सबने आपस में सलाह कर हाथी से छुटकारा पाने की एक युक्ति सोची।

मेघनाद ने मक्खी से कहा, “मक्खी! कल दोपहर के समय तुम हाथी के कानों में अपनी वीणा की मधुर आवाज करना। उस संगीत की मधुरता के कारण वह अपनी आँखें बंद कर लेगा। जैसे ही वह अपनी आँखें बंद करेगा कठफोड़वा अपनी चोंच से उसकी आँखें फोड़ देगा। इस प्रकार अंधा हो जाने पर जब वो प्यास होकर पानी के पास जाने की सोचेगा तब मैं अपने परिवार के साथ गहरी खाई के पास जाकर जोर-जोर की आवाज करूँगा। अंधा होने के कारण हाथी तालाब समझकर वहाँ आएगा और खाई में गिरकर मर जाएगा।“

इस प्रकार सभी ने मिलकर एक विशाल हाथी को भी अपनी चतुराई से नष्ट कर दिया।

इसीलिए कहते हैं कि बुद्धि के प्रयोग से कमजोर लोग मिलकर बलशाली को पराजित कर सकते हैं।