कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जिनके काम को बारीकी से समेटना लगभग असम्भव सा लगता है, और अगर आप ये कोशिश करते भी हैं तो आपको इसके लिए काफी लंबा समय या कहें अपने जीवन का एक पूरा कालखंड इस काम को समर्पित करना पड़ता है।
मैं भाई यतींद्र मिश्र का सम्मान इसलिए भी करता हूं कि उन्होंने ऐसी ही कुछ महान शख्सियतों पर अपनी उम्र का एक बड़ा हिस्सा समर्पित कर दिया, पर ऐसा करते हुए वो खुद भी कितना समृद्ध हुए होंगें ये सोच का सुखद सी ईर्षा भी होती है। जितना समय उन्होंने मेरे लिए परम आदरणीय लता जी और गुलज़ार साहब के साथ बिताया है वो वाकई खुशनसीब हैं इसमें कोई शक नहीं।
उनके लगभग दो दशकों की मेहनत का परिणाम है ये अनमोल किताब, “गुलजार सा'ब : हजार राहें मुड के देखी”। जरूर खरीदकर पढ़ने लायक है ये आप सब संगीत प्रेमियों के लिए। लीजिए खुद यतींद्र से सुनें इस लंबी यात्रा के अनुभव।
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