महाबलीपुरम में मोदी-शी की मुलाकात, कम करेगी इन मुद्दों पर तकरार?
Big Story HindiOctober 11, 2019
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महाबलीपुरम में मोदी-शी की मुलाकात, कम करेगी इन मुद्दों पर तकरार?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिन के भारत दौरे पर भारत आ चुके हैं. चेन्नई एयरपोर्ट पर पहुंचते ही जिनपिंग का भव्य स्वागत किया गया. भारत के प्रधानमंत्री PM मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच मुलाकात का पूरा श्येड्यूल तैयार है. आप इस मुलाकात की अहमियत इस नजरिये से समझिए कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को बेअसर करने के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में भारी तनाव है. पाकिस्तान और चीन की नजदीकियां जगजाहिर हैं. ऐसे में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस मुलाकात में भारत पाकिस्तान मुद्दे पर चीन का कुछ समर्थन हासिल करना चाहेगा. भारत ये भी चाहेगा कि चीन को होने वाले एक्सपोर्ट की शर्तें आसान हों और हमारे फेवर में हों. चीन दुनिया भर के देशों से से अपना इंपोर्ट लगातार बढ़ा रहा है लेकिन भारत उस लिस्ट में काफी नीचे है. और ये भारत का मेजर पॉलिसी कंसर्न है.


इस दौरे की अहमियत को बारीकि से समझने के लिए आपको हाल के भारत-चीन रिश्तों की उठापटक भी समझनी होगी.



आप सुन रहे हैं द बिग स्टोरी पॉडकास्ट और मैं हूं आपका होस्ट वैभव पलनीटकर. क्विंट हिंदी पर हम बिग स्टोरी पॉडकास्ट में दिन की बड़ी खबर आपके लिए लेकर आते हैं. हमारी कोशिश रहती है कि खबर का जायजा इस तरह लिया जाय कि आप खबर के हर पहलू से वाकिफ हो सकें. आज बिग स्टोरी में हम बात करेंगे दुनिया के दो बड़े देशों भारत-चीन के बीच पिछले कुछ हफ्तों की खींचतान पर और जानेंगे उन पर हुए डेवलपमेंट..


आगे बढ़ने से पहले आपको एक बात और बता दें कि बिग स्टोरी हिंदी आप क्विंट हिंदी की वेबसाइट पर तो सुन ही सकते हैं, उसके अलावा गूगल और एप्पल पॉडकास्टस, स्पॉटीफाई और जिओ सावन पर सब्सक्राइब कर सकते हैं.
तो लौटते हैं आज के टॉपिक पर समझाते हैं आपको पहला मुद्दा 


पहला मुद्दा है- कश्मीर मुद्दे पर चीन का रवैया


कश्मीर में धारा 370 को बेअसर किए जाने के बाद लगी बंदिशों को हटाए जाने को लेकर दुनिया भर के लीडर्स और अमेरिकी लॉ मेकर्स बयान दे रहे हैं. जाहिर तौर पर कश्मीर जिनपिंग के दौरे का बड़ा मुद्दा है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर के मुद्दे पर गुप्त बैठक पर जोर दिया था और वो हुई भी. लेकिन जिनपिंग के दौरे से ठीक पहले पाकिस्तान के पीएम इमरान खान बीजिंग में थे. उस वक्त चीन के विदेश मंत्री इस बात पर जोर देते दिखे कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है. इस दौरान यूएन का नाम तक नहीं लिया गया. इसे जिनपिंग के भारत दौरे से पहले चीन के नरम रुख के तौर पर देखा गया. लेकिन फिर कुछ ही घंटों के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि उनकी कश्मीर पर लगातार नजर है और वो पाकिस्तान के मूल हितों से संबंधित मुद्दों पर उसका समर्थन करेंगे. 

अब सवाल है कि कश्मीर पर चीन के इस नरम-गरम रुख का क्या मतलब समझा जाए. क्या ये एक और दबाव की राजनीति है जिसे चीन हमेशा सौदेबाजी के लिए इस्तेमाल कर रहा है. हमें याद रखना चाहिए कि भारत चीन के किसी अंदरूनी मामले पर नहीं बोलता है- चाहे वो उइगर मुसलमानों के खिलाफ दमन का मुद्दा हो या हांगकांग का भारी विरोध प्रदर्शन.


दूसरा मुद्दा है- तिब्बतियों के विरोध प्रदर्शन

तिब्बत चीन के लिए उतना ही संवेदनशील मुद्दा है जितना कश्मीर भारत के लिए. पीएम मोदी को हाल में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान कुछ विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा था. भारत नहीं चाहता कि शी जिनपिंग के दौरे के दौरान ऐसा हो. दौरे से पहले करीब 42 तिब्बती कलाकारों और छात्रों को हिरासत और गिरफ्त में लिया गया है. उनका कसूर ये है कि वो शी को काले झंडे दिखाने की योजना बना रहे थे. इसके लिए पुलिस को ऊपर से खुली छूट दी गई है.

तमिलनाडु पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें जिनपिंग के खिलाफ ऐसे विरोध-प्रदर्शनों की सूचना मिली थी जिनके लिए कोई इजाजत नहीं ली गई. सो उन्होंने कुछ गिरफ्तारियां की हैं. मामला अब कोर्ट में है.

तीसरा मुद्दा है अरुणाचल में युद्धाभ्यास


भारत, अरुणाचल प्रदेश में ऑपरेशन 'हिम विजय' नाम का युद्ध अभ्यास कर रहा है. इस इलाके में इतना बड़ा युद्ध अभ्यास शायद ही कभी हुआ है.
25 अक्टूबर तक चलने वाला ये युद्धाभ्यास LAC यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से महज 100 किलोमीटर दूर हो रहा है. शी जिनपिंग और मोदी के बीच अनौपचारिक सम्मेलन के आसपास हो रहे इस युद्धाभ्यास को चीन उकसावे के तौर पर देख रहा है. खबरों के मुताबिक चीन इससे खफा है.
हालांकि बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ये मानने से ही इंकार कर दिया कि ऐसा कोई युद्धाभ्यास हो रहा है.

चौथा मुद्दा है- टेलीकॉम कंपनी हुवावेई पर हंगामा


चीन चाहता है कि हुवावेई भारत में 5जी नेटवर्क का आधार बन जाए. विदेश मंत्री एस जयशंकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कह चुके हैं कि हुवावेई का मुद्दा राजनीतिक मामला नहीं, बल्कि टेलीकॉम का है. उसके तुरंत बाद एयरटेल की पेरेंट कंपनी भारती के चेयरमैन सुनील मित्तल ने कहा कि हुवावेई के मुद्दे को राजनीतिक तौर पर देखना चाहिए, क्योंकि इससे चीन से रिश्तों का भी सरोकार है.

ये तो कुछ ताजा मामले हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच बैर का इतना लंबा इतिहास है कि रिश्तों में गर्माहट लाने के लिए बातचीत और भरोसे का ढेर सारा ईंधन चाहिए....जाहिर है महाबलिपुरम सम्मेलन दोनों के रिश्तों को एक नई दिशा दिशा जरूर देगा.


आज के बिग स्टोरी पॉडकास्ट में इतना ही. कल फिर मिलेंगे एक और नई मुद्दे के साथ. एक बार आपको और बता दें कि बिग स्टोरी हिंदी आप क्विंट हिंदी की वेबसाइट पर तो सुन ही सकते हैं, उसके अलावा गूगल और एप्पल पॉडकास्टस, स्पॉटीफाई और जिओ सावन पर सब्सक्राइब कर सकते हैं.