रवीद्र नाथ टैगोर के उपन्यास, बड़ी व छोटी कहानियों में 'हेमू' को छोटी कहानियों के श्रेणी में रखा गया है। हर माता पिता अपनी बेटी को संस्कार देते हैं, हर खूबी को उसमें डालने की कोशिश करते हैं, पाल पोसकर तयार करके उसको दूसरे घर को समृद्ध करने के लिए दान कर देते हैं। अब ये हर लड़की की किस्मत कि उसको कैसा घर-परिवार-पति मिले। प्रस्तुत कहानी कि नायिका अपने पिता की चहेती शिशिर उर्फ हेमू भी कन्यादान के पश्चात दूसरे घर आई। पति उसको समझने वाला था, किन्तु परिवार के अन्य सदस्यों की नज़र में खरा उतरने के लिए उसने खुद को तपा डाला, अपनी भावनाओं को जला डाला, इच्छाओं को दफन कर दिया .....फिर भी क्या वो सामंजस्य बैठा पायी? अपने लिए खुशियाँ जुटा पायी? पति का साथ दे पायी?