बाल मजदूरी: एक करोड़ से ज्यादा बिखरे ख्वाबों की खैर कौन लेगा?
Big Story HindiJune 11, 2020
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बाल मजदूरी: एक करोड़ से ज्यादा बिखरे ख्वाबों की खैर कौन लेगा?

याद कीजिये 12 साल की जमालो मड़कामी को जो पैदल तेलंगाना से चलते हुए बीजापुर जाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन भूख और प्यास से चलते चलते दम तोड़ दिया. जमालो जैसे बच्चों को तेलंगाना में मिर्ची चुनने के काम के लिए लाया जाता है. देश में बाल मजदूरी की समस्या ऐसे ही बड़ी थी, लेकिन लॉकडाउन ने मुसीबत और बढ़ा दी है. गरीब परिवार, और गरीब हो गए हैं, मजदूरों के बच्चों के स्कूल छूटे हैं, उनकी किताबें रूठी हैं, उनके सपने टूटे हैं.

12 जून को वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर होता है यानि अंतरराष्ट्रीय बाल मजदूरी निषेध दिवस. ये दिन बाल मज़दूरी की समस्या, और इससे बच्चों को कैसे निकाला जा सकता है, उस पर फोकस करता है. और इसी मौके पर है ये पॉडकास्ट, जिसमें आज के के सूरत-ए-हाल और आने वाले कल की बात करेंगे.